Pradushan Ke Danav (प्रदूषण के दानव ) - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD03)




शीतल छाया कब मिले, जगह-जगह हो पेड़ ।
प्रदूषण के दानव को,देंगे दूर खदेड़।।



भावार्थ:- मई, जून की गर्मी में सभी राहगीर पेड़ो की शीतल छाया के आकांक्षी (तलबगार) होते है । सभी की यह इच्छा तभी पूर्ण हो सकती है जबकि राजमार्गो के दोनो ओर लम्बी कतारों में हजारो हरे-हरे पेड़ इन विशाल पेड़ों से हमे कई लाभ एक साथ प्राप्त होंगे । प्रथम लाभ तो यह होगा कि तपती धूप में हमें ठण्डी छाया मिलेगी और किसी भी प्रकार का प्रदूषण रूपी दानव हरियाली की लक्ष्मण रेखा के भीतर पांव नहीं रख सकेगा। हम उसे कोसों दूर खदेड़ देंगें । ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि यदि हमने हरियाली बढ़ाई तो मानव -जीवन में हमे सर्वत्र खुशहाली मिलेगी ।