Le Kulhadi Hath Me / ले कुल्हाड़ी हाथ में - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD04)




अरज शारदा से करूं, रखियो प्यारी लाज।
ऐसी यह रचना रचूं, सिद्ध होय सब काज।।



शब्दार्थ :- अरज  = प्रार्थना, रखियो = रखना, लाज = प्रतिष्ठा  सिद्ध होय = कार्य पूर्ण होना, काज = कार्य

भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज माता सरस्वती से करबद्ध प्रार्थना कर रहे हैं कि हे हंस वाहिनी । आप मेरी लेखनी पर इतनी सी अनुकम्पा करें कि हमारी प्रतिष्ठा बनी रहे । मैंने जो यह लेखन-कार्य प्रारंभ किया, लेखन अतिशीध्र पूर्ण होवे एवं जिन उद्धेश्य को ध्यान रखते हुए इस कर्म का शुभराम भारम्भ किया उन लक्ष्यों में हमें पूर्ण सफलता प्राप्त हो । यह कृति शीध्र ही जन-जन की लोकप्रिय हो जाए आपकी ऐसी ही कृपा-दृष्टि मेरी लेखनी पर हो ।