Punarchakran Samjai / पुनर्चक्रण समझाय - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD86)



प्लास्टिक डिब्बे बोतले, पुनर्चक्रण समझाय।
सावधानियां जो रखी, नई चीज हम पाय।।

शब्दार्थ :- पुनर्चक्रण = किसी नकारा वस्तु को फिर से नया स्वरूप देना

भावार्थ:- घरों में कई वस्तुएं ऐसी होती हैे जिन्हें हम अनुपयोगी या नकारा समझ कर अक्सर फेंक दिया करते हैं यदि उन्हीं वस्तुओं से दैनिक जीवन के उपयोग की कोई नई चीज हम बनाते है तो यह कार्य कई दृष्टिकोणों से लाभदायक सिद्ध होता उदाहरणार्थ सामान्य घरों में प्लास्टिक के डिब्बे, बोतलें लिफाफे, अखबार आदि कई वस्तुएं हैं जिन्हें थोड़े से परिश्रम से हम दैनिक उपयोग की अन्य वस्तुओं का स्वरूप दे सकते हैं ’वाणी’ कविराज कहना चाहते हैं कि इससे बच्चों में मितव्ययता व स्वरोजगार के संस्कार आते हैं जो उनके भावी जीवन में कई प्रकार से धनार्जन की दृष्टि से सहायक सिद्ध होते है।।