Kagaj Ke Peking Kro / कागज के पेकिंग करों - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD89)



थैल्या प्लास्टिक की रखों, दूकानों से दूर।
कागज के पेकिंग करों, समझो ना मजबूर।।

शब्दार्थ :- कशुर = दोश, पेकिंग = किसी वस्तु को बांधना

भावार्थ:- इस युग को यदि प्लास्टिक का युग कह दे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। प्लास्टिक ने हमारे हृदय में स्थान बना लिया है लेकिन ’वाणी’ कविराज यह निवेदन करना चाह रहे है कि पेकिंग कार्य में प्लास्टिक का अनावष्यक उपयोग नहीं करना चाहिए । भूख और अज्ञानतावश कई मवेषी इन प्लास्टिक की थैलियों को खाद्य सामग्री के साथ-साथ खा जाते हैं और फिर धीरे-धीरे वे रोग ग्रस्त हो कर मर जाते है।
इसलिए जहां तक संभव हो हम सभी को मिलजुल कर बेजुबान जानवरों को स्वास्थ्य के लिए भी श्रेष्ढ निर्णय लेने चाहिए ।