पोखर में मिलते रहे, पानी के अपवाह।
खट्टे-मीठे फल मिले, पूर्ण होय हर चाह।।
शब्दार्थ :- पोखर = छोटे तालाब, पानी के अपवाह = पानी का व्यर्थ बहना, नीर = पानी, चाह = ईच्छाएं
भावार्थ:- जगह-जगह बांध और तालाब बनाने से सबसे बड़ा लाभ यह हुुआ कि पानी का व्यर्थ बहना बन्द हो गया। जल का अपवाह बन्द हो गया। एक ही स्थान पर पानी की अपार मात्रा संग्रहित होने से सिंचाई में बहुत सहयोग मिला। खेतों की पैदावार बढ़ी और कृषकों की अभिलाषाए पूर्ण होने लगी ।