ढूंढो सभी शंकाओं का समाधान ।
वरना होगे जीवन भर परेशान ।।
Itana Thanda Is Shatru Ka Josh - इतना ठण्डा इस शत्रु का जोश #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani (AD20)
इतना ठण्डा इस शत्रु का जोश ।
10-15 वर्षों तक रहे खामोश ।।
भावार्थ
एड्स के वायरस की प्रकृति खड़ी विचित्र है यह वचुएं की चाल चलता हुआ भी अरगोश से बहुत आगे निकल जाता है । दरसल थात यु है कि सूई घुबते ही अगले क्षण अंगुली में से झूल निकाल आता है, किन्तु यह वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद आठ-दस सप्ताह तक तो यह पूर्णतः खामोश बैठा रहता है । विभिन्न प्रकार की मेडिकल जाँचों में यह पोजेटिव होते हुए भी पोजेटिव नहीं आता है । तत्पश्चात् यह हतला धीरे-धीरे अपना जाल फैलाता है कि कई वर्षों तक रोगी बाहर से तो पूर्णतः स्वस्थ दिमाई देता है 8-10 वर्षों तक उसे किसी प्रकार की कोई विशेष परेशानी महसूस नहीं होती ।
जब रोग थर्ड स्टेज पर पहुंच जाता है तब बुखार डायरिया जैसी छोटी-छोटी बीमारियां भी बाई महिनों तक ठीक नहीं होती है और अंतिम सास तक उसे असहनीय पीड़ाएं पहुंचाती रहती हैं ।
H.I.V. Ki Janch Karay -H.I.V. की जाँच कराए #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani (AD19)
हर गर्भवती माताएं ।
H.I.V. की जाँच कराए ।।
भावार्थ
सामान्य तौर पर यह पाया जाता है कि गर्भवती महिलाएं अपनी कुछ जाँचे तो चिकित्सक के मार्गदर्शन में निर्धारित समयानुसार करवाती रहती है, किन्तु उन्हें चाहिए कि साधारण के प्रारम्भिक काल में एक बार एच.आई.वी. की भी जाँच करवाए । यह जाँघ भी कोई बहुत मंहगी नहीं होती है । केवल 10 रु. में ही इसकी सारी जाँचे पूर्ण हो जाती हैं ।
यदि जाँच के पश्चात यह पाया जाता है किएच.आई.वी.पोजेटिव है तो बेहतर निर्णय यह होगा कि वह गर्भधारण नहीं करे । बच्चे को जन्म नहीं देने का फैसला लेती हुई गर्भपात करवाले । क्योंकि यदि ऐसा नहीं किया गया तो जन्म लेने वाले बच्चे के शरीर में जन्म से ही एच.आई.वी. के रोगाणु पहुंच जाएंगे । यह अस्वस्थ ही रहेगा एवं अल्प आयु में ही मृत्यु को प्राप्त हो सकता है ।
Aids Ki Dava Yah Badi Asaradar - एड्स की दवा यह बड़ी असरदार #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani(AD018)
एड्स की दवा यह बड़ी असरदार ।
हो पति-पत्नी परस्पर वफादार ।।
भावार्थ
कभी-कभी देवालय की राय भी अचूक औषधी सिद्ध होती है । तो कहीं-कहीं लाखों रूपयों की दवाएं भी असर हो जाया करती है । एडस जैसी जानलेचा महामारी से मुक्ति पाने के लिए आज तक कोई शर्तिया इलाज या रामबाण दवा नहीं बन पाई है । निकट भविष्य में भी इसकी सम्भावनाएं नहीं लग रही है ।
चाणी' कविराज कहते हैं कि यदि आप यह जानना चाहते हैं कि क्या एक भी दवा ऐसी है जो पूर्णतः प्रभावी है तो वह यह कि पति-पत्नी परस्पर जीवन पर्यन्ता एक दूसरे के प्रति पूर्ण वफादार रहें । असुरक्षित एव अवैध यौन सर्पकों से सदैव दूर रहे । बस यही एक मात्र इसकी अचूक दवा है । इसे हासिल करने के लिए कुदरत ने समदृष्टि रअते सभी हुए इंसानों को बराबर का एक मौका दिया है ।
Lo Upayog Mein Kapade Gusalakhana- लो उपयोग में कपड़े गुसलखाना #Aids_Pe_Nare @Kavi Amrit 'Wani(AD17)
रोगी संग उठो-बैठो खाओ खूब खाना ।
लो उपयोग में कपड़े गुसलखाना ।।
भावार्थ
आपके घनिष्ठ मित्र सखा-सहेली या पारिवारिक सदस्यों में से किसी को भी यदि एड्स रोग हो जाता है तो उसके परिजनों का यह कर्तव्य होता है कि वे रोगी की तन-मन-धन से सेवा-सुश्रुषा करें । उनके मन में एक संशय यह अवश्य उत्पन्न हो सकता है कि कहीं ऐसा न हो कि यह रोग हमें भी हो जाए ।
'वाणी' कविराज कहते हैं कि हे सज्जनो! एड्स रोग किसी भी एड्स शासित रोगी के साथ खाना खाने, साथ उठने-बैठने, रहने, घुमने से उसके कपड़े,बाथरूप इत्यादि का कितना ही उपयोग करें, यह रोग नहीं फैलता है । ऐसी अतिआवश्यक जानकारियां जिनके अभाव में नित्य नए संशय उत्पन्न होते हैं । उन नवीन जानकारियों को प्राप्त करते हुए हमें अपने मित्रों को लाभान्वित करने चाहिए ।
Bukhar Dayariya YaVajan Ghatata Jay-बुखार डायरिया या वजन घटता जाए #Aids_Pe_Nare@Kavi AmritWani(AD16)
बुखार, डायरिया या वजन घटता जाए ।
हो सकता उसको एडस, जाँच कराए ।।
भावार्थ
कई बीमारियां पाँच-सात दिनों में बिना दवा के ही ठीक हो जाती हैं, तो कई बीमारियां दवाओं के नियमित सेवनोपरान्त धीरे-धीरे दूर होती है । यदि कभी ऐसा हो कि नियमित दवाएं लेने के बाद भी बुखार नही उतरता है या डायरिया में विशेष सुधार नाहीं हो रहा हो या अज्ञात कारणों से निरन्तर वजन घटता जा रहा हो तो ऐसी परिस्थिति में और ज्यादा लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए । चिकित्सक से परामर्श लेते हुए तुरन्त एड्स की जाँच करवानी चाहिए । जाँच के पश्चात् यदि एच.आई.वी. पोजेटिव पाया जाता है तो जीवन शैली में आवश्यक परिवर्तन तुरन्त स्वीकार कर लेने चाहिए ।
'वाणी' कविराज कहते हैं कि शारीरिक बीमारियों के प्रति कभी भी लम्बे समय तक लापरवाही नही बरतनी चाहिए
Chand eids rogi huy kai laakh - चंद एड्स रोगी हुए कई लाख #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani (AD15)
चंद एड्स रोगी हुए कई लाख |
सन 2002 तक संख्या 45 लाख ||
भावार्थ
अधिकांश बीमारियां विभिन्न प्रकार के बैक्ट्रिया के द्वारा फैलती है । शरीर में किसी भी प्रकार से बेविट्या के प्रवेश कर लेने के बाद वे धीरे-धीरे लाखों की तादाद में स्वजाति रोगाणुओं की संख्या बढ़ा लेते हैं । यदि शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कमजोर है तो उस बैक्ट्रिया का प्रभाव ज्यादा एवं शीघ्र होगा ।
प्रथम प्रयास हमें यह करना चाहिए कि ऐसे विषाणु हमारे शरीर में प्रवेश ही नहीं कर पाएं । इंजेक्शन की सूई के द्वारा भी ये शरीर में प्रवेश कर सकते हैं । सूई को 20 मिनट तक उबलते पानी में रखते हुए रोगाणुओं को पूर्णतः नष्ट किया जा सकता है । नई डिस्पोजल सीरिज के वनिस्पत 20 मिनट तक उबली हुई |
San 1986 Bharat Mein Pahala Rogi - सन् 1986 भारत में पहला रोगी # Aids_Pe_Nare@Kavi Amrit 'Wani(AD14
सन् 1986 भारत में पहला रोगी ।
जिसने पीड़ा एड्स की भोगी ।।
भावार्थ
यह तो नहीं कहा जा सकता है कि सन् 1986 से पहले यह रोग नहीं था । सन् 1936 में भारत में एड्स के प्रथम रोगी का पता चला । इसके पश्चात् ही भारतीय चिकित्सा विभाग ने इस ओर जागरूक होकर अपने प्रयास प्रारम्भ किए । किन्तु नौ दिन चले अबई कोस बाली उक्ति ही सार्थक हुई । सारे प्रयासों के बावजूद आज एड्स
रोगियों की संख्या हजारों के नहीं लाखों के आकड़े पार कर चुकी है ।
'वाणी' कविराज कहते हैं कि आज लाओं व्यक्ति एसा के कारण कई प्रकार की असह्य पीडाए भोग रहे हैं । इतना ही नहीं चिन्ता का बड़ा विषय यह है कि हजारों नए व्यक्ति प्रतिदिन हरा रोग की चपेट में आ रहे हैं । हम सभी का यह नैतिक पार्तव्य बनता है कि एड्स से सम्बन्धित ठोस जानकारी का प्रचार-प्रसार उन लोगों तक करें जो अभी तक एड्स की चपेट में तो नहीं आए हैं किन्तु निकट भविष्य में उनकी सम्भावनाएं हैं ।
Bachav Hi Ek Matr Upachar - बचाव ही एक मात्र उपचार #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani (AD13)
इतने में सब समझ लो यार ।
बचाव ही एक मात्र उपचार ।।
भावार्थ
ज्ञानी, अनुभवी, विवजन अपनी रहस्य पूर्ण बातों को व्यग की शैली में अप्रत्यक्ष रूप में अर्थात प्रतीकों के माध्यम से कहते आए हैं एड्स रोग से संबंधित एक संकेत यह भी है कि इस रोग की कोई दवा नहीं । कुछ दवाएं बाजारों में उपलव्य है किन्तु वह बहुत महगी है एवं एड्स को पूर्णतः मिटाने में सक्षम नहीं है । केवल रोगी के जीवन काल को कुछ समय तक बढ़ा सकती हैं । यह भी सुनिश्चित नहीं है कि एड्स का हर रोगी ऐसी मूल्यवान दबाए खरीद सके ।
एड्स पर कई प्रकार के चिन्तन, मनन एवं मानस मन्धन के बाद बुद्धिजीवी. डॉक्टर एवं वैज्ञानिकों ने यही कहा है कि केवल बचाव ही एड्स का सर्वश्रेष्ट, सफल एवं एक मात्र उपचार है ।
Is Aids Ka Ab Tak Koi Upachar Nahin.इस एडस का अब तक कोई उपचार #Aids_Pe_Nare @Kavi Amrit 'Wani (AD12)
नहीं था परसो नहीं कल आज भी नहीं |
इस एडस का अब तक कोई उपचार ||
भावार्थ
मानव की जिज्ञास प्रवृत्ति सजनशीलता दिविजय जैसे अन्तनिहित गुणों के कारण ही आज वह भारती से चन्द्रमा और मंगल ग्रहों की कई सफल यात्राएं कर चुका है । आज चिकित्सा शास्त्र ने प्लेग, चेचक, पोलिया, सय जैसे कई असाध्य महामारियों पर पूर्णतः विजय प्राप्त कर ली है । एड्स नामक बीमारी की आज तक कोई सफल दवा नहीं बन पाई है ।
'वाणी' कविराज कहते हैं कि सम्पूर्ण विश्व के चिकित्सा शास्त्री, वैज्ञानिक प्रत्यत्नशील हैं परन्तु अभी तक किसी को आशानुकूल पूर्ण सफलता नहीं मिली वे केवल बचाव ही इसका एक मात्र उपचार बता रहे हैं ।
एड्स होने के बाद नहीं मिलने वाली दवा टूटने के बजाय हम प्रयत्न यह करें कि यह बीमारी किसी को नही हो । इसके लिए आवश्यक यह है कि इससे बचाव के उपायों का जीवन पर्यन्त अन्तर्मन से दृढतापूर्वक पालन करें ।
Nirbhik Jjigyasuon Badhao Jankari निर्भीक जिज्ञासुओ बढ़ाओ जानकारी #Aids_Pe_Nare @ Amrit Wani (AD11)
ओ निर्भीक जिज्ञासुओं बढ़ाओ जानकारी ।
प्रचार-प्रसार की निभाओ जिम्मेदारी |
भावार्थ
ज्ञान-पिपासु पाठकों एवं विद्यार्थियों को यह संदेश देना है कि आज के युग में संचार माध्यमों में विश्व व्यापी क्रांति आ चुकी है । रेडियो,टी ची इन्टरनेट, समाचार पन्न, सिनेमा, कार्यशाला पाठशाला कई प्रकार के संचार संसाधन उपलब्ध हैं, जिनसे नियमित रूप से जुड़कर आप चाहें जितनी जानकारी बढ़ा सकते हैं । समाज व राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों को स्मरण करते हुए कुछ एड्स से सम्बन्धी जानकारी हासिल करना भी अब अति आवश्यक प्रतीत होता है ।
'वाणी' कविराज कहते हैं कि अर्जित ज्ञान को अपने तक ही सीमित नहीं रखें, जिम्मेदारी पूर्वक बड़ी निष्ठा व लगन के साथ अपने साथियों सहित समाज में मुक्त कंट से ज्ञानामृत बांटते हुए गौरव एवं आत्म संतुष्टि का अनुभव करें ।
Ghusa H.I.V. Ka Ek Katra - घूसा एच.आई.वी. का एक कतरा #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani(AD10)
घूसा एच.आई.वी. का एक कतरा ।
कई मित्रों को होगा भारी खतरा ।।
भावार्थ
किसी कारणवश यदि आपके शरीर में एच.आई.वी. का एक भी विषाणु प्रविष्ट हो गया तो धीर-धीरे वह लाखों-करोड़ों की संख्या में अपने हमशक्ल राक्षस तैयार करलेगा । यदि लम्बे समय तक किसी शारीरिक या मानसिक बीमारी आपको नहीं हुई तो किसी प्रकार के आपके मेडिकल टेस्ट भी नहीं होंगे । इस दौरान जिन-जिन से भी आपके यौन सम्बन्ध स्थापित हुए उनके एच.आई.ची. से संक्रमित होने की सम्भावना रहेगी ।
इस प्रकार एक एच.आई.वी. का रोगी जाने-अनजाने में अपने कई मित्रों के जीवन को खतरे में डाल सकता है ।
'वाणी' कविराज कहना चाहते हैं कि बुद्धिजीवियों को चाहिए कि वेसमय-समय पर अपने शरीर की विभिन्न प्रकार की आवश्यक जाँचे चरवाते रहें ।
Ek Mitra Aids Rogi Ko Bhi Banao. मित्र एड्स रोगी को भी बनाओ #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani (AD09)
एक मित्र एड्स रोगी को भी बनाओ ।
हाथ मिला गले लगा अपने पास विठाओ ।।
भावार्थ
प्रत्येक व्यक्ति के कई मित्र होते हैं कुछ खासम-यास तो कुछ हाय हैलो तक ही सीमित होते हैं । यदि हमारी मित्र मण्डली में किसी को एड्स रोग हो जाता है तो आप उससे मिन्नता कदापि नहीं खोई । अपने मन में यह क्षम नहीं रख्ने कि यह रोग अब मुझे भी हो जाएगा । अपने रोग शास्त्त मित्रा से बराबर हाथ मिलाना. उसे गले लगाना, उसके साथ उठना-बैठना सभी कुछ पूर्ववत् जारी रखें । उसे यह आभास नहीं होने दे कि इस रोग के कारण मेरे साथियों ने मुझसे एक स्थाई दूरी कायम -करली ।
'वाणी' कविराज कहते हैं कि आप यह पूर्ण विश्वास रखें कि यह रोग रोगी के द्वारा उसकी सेवा करने वालो को कदापि नहीं होता । ऐसे विकट समय में यदि आप मित्रता निभाएंगे तो आपके घनिष्ठ मित्र की आयु कुछ दिनों के लिए अवश्य बढ़ेगी,
और उसे अकेलापन नहीं खटकेगा ।
Aids grasit maa ki laachaari-एड्स ग्रसित माँ की लाचारी #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani (AD08)
एड्स ग्रसित माँ की लाचारी ।
बच्चे को मिलती वही बीमारी ।।
भावार्थ
प्रत्येक माता-पिता अपनी संतानों को बहुत कुछ विरासत में देकर जाते हैं यया खानदानी हूनर, जमीन-जायदाद धन-दौलत इत्यादि । एच.आई.वी.रोगाणुओं से ग्रसित गर्भवती माताओं की भी बड़ी विचित्र मजबूरिया होती हैं । प्रसव के दौरान जन्म लेने वाली सन्तान के रक्त में भी एच.आई.वी. के वहीं रोगाणु उपलब्ध होंगे जो उसकी माता के रक्त में थे । बच्चा माता के खून से ही परिपक्व होता है । एच.आई. ची. सक्रमित माँ का जन्मजात बच्चादी आयुभी नहीं हो पाता एवं जब तक जीवित रहता तब तकशारीरिक व मानसिक दृष्टि से कमजोर मी रहता है ।
'वाणी' कविराज कहते है कि यदि किसी माता को यह पता लग जाए फि वह एच.आई.वी से ग्रसित है तो बहुत अच्छा यह है कि ऐसी माताएं गर्भधारण ही न करें ।
Mana Karne Ki Kala Sikhiye - मना करने की कला सीखिए #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani (AD07)
जीवन को कुछ आसान कीजिए ।
मना करने की कला सीखिए ।।
भावार्थ
जीवन संघर्षों की अनन्त अंशाला है । गुद्धिमान एवं पर्यशाली व्यक्ति इसमें विजयी होते हैं । कई लोग महज इस वजह से परेशान रहते हैं कि उन्हें कोई ऐसा कार्य करने के लिए कह देते हैं जिन्हें ना तो वे पूर्ण कर सकते हैं और नाचे मना कर सकते हैं । इन्हीं अन्तईन्द्रों के कारण वे हर वक्त चिंतित दिखाई देते हैं ।
वाणी' कविराज यह कहना चाहते हैं कि यदि आपने मना करने की कला सीख ली, हंसते-हंसते अपनी अनिच्छा को जाहीर करने का हूनर सीख लिया तो कई समस्याएं आप तक पंहुचने से पूर्व ही हल हो जाएगी । यह बात बौद्धिक कौशलता साहस और आत्मविश्वास पर निर्भर करती हैं ।
प्रसंग चाहे धन-दौलत का हो चाहे तन-मन के सौदे का हो अगर जो चीज आपके गले नहीं उतरती तो उसे तुरन्त थूक कर बाहर फेंकते हुए फीलगुड अनुभव करे
Sankramit khoon - संक्रमित खून #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani (AD06)
चढ़ गया एच.आई.वी.का संक्रमित खून ।
10-15 सालों में होए खून का खून ।।
भावार्थ
अज्ञानतावश,भूलवश या किसी अन्य कारणवश किसी गम्भीर रोगी को एच.आई.वी. संक्रमित रवत चढ़ जाता है या रक्त परीक्षण तो किया गया किन्तु वह "विन्डो पीरियड' के कारण एच आई वी. नेगेटिव निकला,या किसी भी अन्य परिस्थितियों के अन्तर्गत यदि रोगी को एच.आई.वी. का संपमित खून चढ़ा दिया तो एक बार तो वह ठीक होकर हॉस्पीटल के शैयया से उठ जाएगा किन्तु धीरे-धीरे उसके शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति भीण हो जावेगी । यदि समय-समय पर स्वत्त परीक्षण करवा कर आवश्यक सावधानियां नहीं बरती तो 10-15 वर्षों के भीतर ही हॉस्पीटल में चढ़ाया गया सून ही उसके जून का खून कर देगा ।
4 लाख योनियों में सर्वश्रेष्ठ यह मानव शरीर व्यर्थ ही अकाल मृत्यु के मुंह में जाने के लिए विवश हो जाएगा ।
'वाणी' कविराज कहते है कि किसी भी रोगी को रक्त चढ़ाते समय चढ़ने वाले रक्त का पूर्ण प्रयोगशाला परीक्षण होना चाहिए एवं जहां तक संभव हो रोगी के परिजनों के रक्त्त को ही प्राथमिकता देनी चाहिए ।
Hoga Aids Usi ka Sathi - होगा एड्स उसी का साथी #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani (AD05)
होगा एड्स उसी का साथी ।
जीते-जी भूले जो जीवन साथी ।।
भावार्थ
एड्स होने के प्रमुख कारणों में से एक यह भी है कि अपने जीवन साथी के अतिरिक्त किसी अन्य से यौन संबंध स्थापित करना । असुरक्षित यौन सम्पर्को से इस रोग द्वारा संक्रमित होने की सर्वाधिक संभावनाए होती है ।
'वाणी' कविराज कहते हैं कि जन्मों-जन्मों का साय निभाने वाले जीवन साथी को परदेस में भी सदैव मानसिक रूप से साथ रखना चाहिए । एवं उनके प्रति अनुराग, सत्य, निष्ठा एवं वफादारी में किसी प्रकार की कमी नहीं आनी चाहिए । एच आई वी. से बचाने का यह भी एक अचूक उपाय है, कि आप अपने जीवन साथी के प्रति जीवन भर पूर्ण निष्ठावान बने रहें ।
Aids Ban Na Paye Mahamari - एड्स बन न पाए महामारी #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani (AD04)
आओ अटकलें लगाएं सारी ।
एड्स बन न पाए महामारी ।।
भावार्थ
आज एड्स विश्व में सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाला रोग है । प्रतिदिन सैकडो नहीं हजारों नए रोगी इसकी चपेट में आ रहे हैं । यदि हम सबने मिलकर इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया, आम जनता को सही एवम् आवश्यक जानकारियां नहीं दी
और समझदार होकर भी समाज और राष्ट्र के प्रति लापरवाह बने रहे तो वह दिन दूर नहीं होगा जिस दिन एड्स महामारी का रूप धारण कर लेगा । तब हमारे द्वारा किए गए छोटे-मोटे सारे प्रयास ऊंट के मुंह में जीरे की भाति प्रभावहीन हो जाएंगे ।
'वाणी' कविराज कहना चाहते हैं कि आओ, हम सच विचार गोष्ठी में चलें कार्यशालाएं आयोजित करें और सुरसा के मुंह की भांति बढ़ती हुई इस महामारी पर विजय पाने की सफल रणनीतियां बनाएं ।
Aids Rog kisi ko hoy nahi - एड्स रोग किसी को होय नहीं #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani (AD03)
एड्स रोग किसी को होय नहीं ।
दुनियां में इसका उपचार नहीं ।।
भावार्थ
मानव शरीर में कई बार कई बीमारियां ऐसी होती हैं जो बिना किसी विशेष कारणों के आ जाती और दो-पांच दिनों में विना दवाओं के ही चली जाती है । एड्स एक ऐसा रोग है जो वैसे तो मौसमी बीमारियों की तरह रस्ते चलते हर किसी को होता नहीं, किन्तु यदि एक बार यह महारोग किसी को पकड़ लेता है तो फिर उसको प्राण लेकर ही छोड़ता, क्योंकि आज तक इस रोग का कोई टीका नहीं बन पाया और न ही इस पर पूर्णतया विजय पाने वाली औषधियां बन पाई हैं ।
'वाणी' कविराज कहना चाहते हैं कि ईश्वर और प्रकृति तो आपकी मदद करेंगे ही किन्तु इससे पहले आप स्वयं अपने जीवन को ऐसी उच्च नैतिकता के साथ सुचारू ढंग से व्यतीत करने का सुदृढ मानस बनाएं कि आपके जीवन में ऐसे अचानक जान लेवा रोगों की सम्भावनाएं पूर्णतः समाप्त हो जाए ।
Samajho Aids Ki Hui Bimari - समझो एड्स की हुई बीमारी #Aids_Pe_Nare @ Kavi Amrit 'Wani (AD02)
मरती जाये जब सेना सारी ।
समझो एड्स की हुई बीमारी ।।
भावार्थ
एड्स के वायरस शरीर में प्रवेश पाने के पश्चात् 10-12 सप्ताह तक तो पूर्णतः निष्प्रभावी रहते हैं, किन्तु इस समयावधि के पश्चात् उक्त्त वायरस सक्रमित शरीर के सूल में स्थित श्वेत रक्त कणिकाओं को नष्ट करना प्रारम्भ कर देते हैं । श्वेत रक्त कणिकाएं हर मानव शरीर में 24 घण्टे तैयार एक विशाल सेना की भांति हर मोर्चे पर तैनात रहती है, जिसे एड्स के वायरस धीर-धीरे नष्ट करना प्रारम्भ कर देते हैं ।
प्रयोगशाला द्वारा स्वत इत्यादि के परीक्षणोपरान्त यदि यह पाया जाता है कि प्रतिदिन रक्त में श्वेत कणिकाओं की मात्रा कम होती जा रही तो शीघ्र ही यह दिन दूर नही जिस दिन इनकी संज्या शून्य के समकक्ष हो जाएगी । उस स्थिति में ऐसे रोगी को एड्स शासित रोगी कहा जायेगा । वह रोगी लाइलाज है ।
Sare Baiktriya Tab Nikale - सारे बैक्ट्रिया तब निकले #Aids_Pe_Slogans @ Kavi Amrit 'Wani (AD01)
सारे बैक्ट्रिया तब निकले ।
बीस मिनट तक सूई उबले ।।
भावार्थ अधिकांश बीमारियां विभिन्न प्रकार के बैक्ट्रिया के द्वारा फैलती है । शरीर में किसी भी प्रकार से बेविट्या के प्रवेश कर लेने के बाद वे धीरे-धीरे लाखों की तादाद में स्वजाति रोगाणुओं की संख्या बढ़ा लेते हैं । यदि शरीर की रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता कमजोर है तो उस बैक्ट्रिया का प्रभाव ज्यादा एवं शीघ्र होगा । प्रथम प्रयास हमें यह करना चाहिए कि ऐसे विषाणु हमारे शरीर में प्रवेश ही नहीं कर पाएं । इंजेक्शन की सूई के द्वारा भी ये शरीर में प्रवेश कर सकते हैं । सूई को 20 मिनट तक उबलते पानी में रखते हुए रोगाणुओं को पूर्णतः नष्ट किया जा सकता है । नई डिस्पोजल सीरिज के वनिस्पत 20 मिनट तक उबली हुई |
ag mein jeevan neer hai / जग में जीवन नीर है - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD112)
जग में जीवन नीर है, सुन जग जीवनराम।
राम-राम तुम फिर करो, पहले नल का काम।।
शब्दार्थ :- नीर = पानी
भावार्थ:- पृथ्वी पर 3/4 भाग पानी होना ही इस बात का प्रमाण है कि जल ही इस संसार का प्रमुख आधार है । आवश्यकतानुसार सुनियोजित ढंग से ही पानी का उपयोग किया जाना चाहिए । हे जगजीवनराम, तुम इन बातों को बड़े ही ध्यान से सुनते हुए जीवन में उतारलो । ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि भक्तिभाव मे राम राम का स्वमरण भी तुम थोड़ी देर बाद कर लेना यदि उस वक्त नल में पानी आ गया और पानी व्यर्थ बह रहा है तो पहले उस नल को बन्द करें भरे जल पात्र भीतर लाकर खाली करके रखते हुए तुम कुन्त भक्ति करने बैठ जाओं । राम-राम करते हुए पुण्य लाभ के प्रभाव से नल भी अवष्य ज्यादा आऐगें ।
Rojgaar sabko mile / रोजगार सबको मिले - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD111)
जनसंख्या जब कम रहे, अच्छे होय विकास।
रोजगार सबको मिले, सुन्दर हो आवास ।।
शब्दार्थ :- रोजगार =जीविकोपार्जन हेतु आय के स्त्रोत, निवास = रहने हेतु मकान
भावार्थ:- देश के चहुमुंखी विकास में जनसंख्या का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। यदि आबादी कम होगी या बहुत ही कम गति से बढ़ेगी तो सभी को पर्याप्त सुख-सुविधाएं उपलब्ध हो सकेगी । आशा के अनुरूप देश का विकास होना संभव होगा । सभी को अपनी-अपनी योग्यता, क्षमता व अनुभवानुसार रोजगार भी उपलब्ध हो सकेेंगे । देश में सर्वत्र खुशहाली रहेगी। ’वाणी’ कविराज यह कहना चाहते हैं कि जनसंख्या विस्फोट भारत वर्ष की ज्वलंत समस्या हैं। इस पर शीध्र ही विचार-विमर्ष करते हुए स्वनिय निर्णय की प्रवृत्ति विकसित करना अतिआवश्यक है।
Kar Sabaka Sammaan / कर सबका सम्मान - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD110)
पार नही है ज्ञान का, कभी न कर अभिमान।
नया-नया रोज़ पढ़ना, कर सबका सम्मान।।
शब्दार्थ :- बढ़ते रहो = बौद्धिक विकास करना,
भावार्थ:- संसार में कई प्रकार के विषय है । ज्ञान-वृक्ष की क्रोटि कोटि ष्षाखाएं है एक-एक डाली पर अनन्त पत्ते है ऐसी अन्नत जालियां है सामान्य व्यक्ति जीवनी में उस वट वृक्ष की एक शाखा का भी किंचित ज्ञान ही प्राप्त कर सकता है । इसलिए किसी भी विद्वान को अपने ज्ञान व अनुभव पर अभिमान कदापि नहीं करना चाहिए । ’वाणी’ कविराज कहते है। कि स्वाध्याय द्वारा प्रतिदिन अध्ययन करते रहना चाहिए । ज्ञान के साथ-साथ यदि विनम्रता भी जीवन में आ जाती है । तो वह व्यक्तित्व अवश्य ही चिरस्मरणीय बन जाता है। विद्धान व अनुभवी व्यक्तियों को चाहिए कि वे अपने ज्ञान को सुपात्रों में अनवरण बांटते रहें ।
Janavaron Ko Palate / जानवरों को पालते - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD109)
जानवरों को पालते, सुनो बाल गोपाल।
प्रशिक्षण में सब सीखलो, लो संग ग्वाल-बाल।।
शब्दार्थ :- गोपाल = गायों को पालने वाले, ग्वाल-बाल = पशु पालकों की दिन भर साथ रहने वाली मित्र-मण्डली
भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज कहते है कि हे पषुपालकों हे गोपालों । तुम सब हमारी एक बात सदैव ही याद रखों कि यदि आप पशुपालन से संबंधित कोई प्रशिक्षण प्राप्त कर लेते हैं तो यह आपके व्यावहारिक एंव सैद्धान्तिक ज्ञान को अवष्य बढाएगा । जानवरों के सामान्य आहार, रोग, निदान संबंधी पर्याप्त जानकारियां आपको प्रशिसण द्वारा हासिल हो जाएगी। इससें आप काफी सुविधा अनुभव करंगे । अपने साथियों को भी अपपने ज्ञान से लाभन्वित कर सकेगें। कई दृष्टिकोणों से उपयोगी यह प्रशिक्षण सभी पशु पालकों को प्राप्त करने का अवसर मिलना अपेक्षित है।
Jangal Me Mangal Rahe /जंगल में मंगल रहे - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD108)
मानवीय शिक्षा मिले, सारे करें प्रयास।
जंगल भी मंगल बने, ऐसा होय विकास।।
शब्दार्थ :- जंगल में मंगल = अतिसाधारण परिस्थितियों में भी अच्छा जीवन बिताना ।
भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज कहना चाहते हैं कि सभी व्यक्तियों को मानवीय षिक्षा एवं जीवन के अनुभवों को आत्मसात करने के पर्याप्त अवसर मिलते रहने चाहिए। कम से कम वह इतना सीख ले कि यह मनुष्य जीवन क्या है ? इस जीवन में कौन से कार्य अधिक करने चाहिए और कौन से कार्य नहीं करने चाहिए । इतना प्रयास हर प्रशासन व हर नागरिक को करना चाहिए। ऐसे ज्ञानार्जन के पष्चात् ही हम ईष्वार प्रस्त साधारण सी सुख सुविधाओं में भी श्रेष्ठ जीवन व्यतीत कर सकेंगें। सभी के विकास की मंगल भावनाओं को लेकर कदम से कदम मिलाकर चलने का हाथ, से हाथ मिला कर साथ चलने के फायदां को आम आदमी समझ सकेगें, ऐसी व्यवस्थाऐं सर्वत्र उपलब्ध कराई जानी अपेक्षित हैं।
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