एक मित्र एड्स रोगी को भी बनाओ ।
हाथ मिला गले लगा अपने पास विठाओ ।।
भावार्थ
प्रत्येक व्यक्ति के कई मित्र होते हैं कुछ खासम-यास तो कुछ हाय हैलो तक ही सीमित होते हैं । यदि हमारी मित्र मण्डली में किसी को एड्स रोग हो जाता है तो आप उससे मिन्नता कदापि नहीं खोई । अपने मन में यह क्षम नहीं रख्ने कि यह रोग अब मुझे भी हो जाएगा । अपने रोग शास्त्त मित्रा से बराबर हाथ मिलाना. उसे गले लगाना, उसके साथ उठना-बैठना सभी कुछ पूर्ववत् जारी रखें । उसे यह आभास नहीं होने दे कि इस रोग के कारण मेरे साथियों ने मुझसे एक स्थाई दूरी कायम -करली ।
'वाणी' कविराज कहते हैं कि आप यह पूर्ण विश्वास रखें कि यह रोग रोगी के द्वारा उसकी सेवा करने वालो को कदापि नहीं होता । ऐसे विकट समय में यदि आप मित्रता निभाएंगे तो आपके घनिष्ठ मित्र की आयु कुछ दिनों के लिए अवश्य बढ़ेगी,
और उसे अकेलापन नहीं खटकेगा ।