सन् 1986 भारत में पहला रोगी ।
जिसने पीड़ा एड्स की भोगी ।।
भावार्थ
यह तो नहीं कहा जा सकता है कि सन् 1986 से पहले यह रोग नहीं था । सन् 1936 में भारत में एड्स के प्रथम रोगी का पता चला । इसके पश्चात् ही भारतीय चिकित्सा विभाग ने इस ओर जागरूक होकर अपने प्रयास प्रारम्भ किए । किन्तु नौ दिन चले अबई कोस बाली उक्ति ही सार्थक हुई । सारे प्रयासों के बावजूद आज एड्स
रोगियों की संख्या हजारों के नहीं लाखों के आकड़े पार कर चुकी है ।
'वाणी' कविराज कहते हैं कि आज लाओं व्यक्ति एसा के कारण कई प्रकार की असह्य पीडाए भोग रहे हैं । इतना ही नहीं चिन्ता का बड़ा विषय यह है कि हजारों नए व्यक्ति प्रतिदिन हरा रोग की चपेट में आ रहे हैं । हम सभी का यह नैतिक पार्तव्य बनता है कि एड्स से सम्बन्धित ठोस जानकारी का प्रचार-प्रसार उन लोगों तक करें जो अभी तक एड्स की चपेट में तो नहीं आए हैं किन्तु निकट भविष्य में उनकी सम्भावनाएं हैं ।