नहीं था परसो नहीं कल आज भी नहीं |
इस एडस का अब तक कोई उपचार ||
भावार्थ
मानव की जिज्ञास प्रवृत्ति सजनशीलता दिविजय जैसे अन्तनिहित गुणों के कारण ही आज वह भारती से चन्द्रमा और मंगल ग्रहों की कई सफल यात्राएं कर चुका है । आज चिकित्सा शास्त्र ने प्लेग, चेचक, पोलिया, सय जैसे कई असाध्य महामारियों पर पूर्णतः विजय प्राप्त कर ली है । एड्स नामक बीमारी की आज तक कोई सफल दवा नहीं बन पाई है ।
'वाणी' कविराज कहते हैं कि सम्पूर्ण विश्व के चिकित्सा शास्त्री, वैज्ञानिक प्रत्यत्नशील हैं परन्तु अभी तक किसी को आशानुकूल पूर्ण सफलता नहीं मिली वे केवल बचाव ही इसका एक मात्र उपचार बता रहे हैं ।
एड्स होने के बाद नहीं मिलने वाली दवा टूटने के बजाय हम प्रयत्न यह करें कि यह बीमारी किसी को नही हो । इसके लिए आवश्यक यह है कि इससे बचाव के उपायों का जीवन पर्यन्त अन्तर्मन से दृढतापूर्वक पालन करें ।