एक नेता जी जमी जुमई दुकान




कवि अमृत वाणी की राजस्थानी कविता एक नेता जी जमी जुमई दुकान का कविता पाठ किशोर जी पारीक के साथ चित्तोडगढ मे

चार दिनों की जिन्दगी

चार दिनों की जिन्दगी
यूं
गुजर गई भाई |
दो दिन
हम सो ना सके
दो दिन
नींद नहीं आई

कवि अमृत"वाणी"