इतना ठण्डा इस शत्रु का जोश ।
10-15 वर्षों तक रहे खामोश ।।
भावार्थ
एड्स के वायरस की प्रकृति खड़ी विचित्र है यह वचुएं की चाल चलता हुआ भी अरगोश से बहुत आगे निकल जाता है । दरसल थात यु है कि सूई घुबते ही अगले क्षण अंगुली में से झूल निकाल आता है, किन्तु यह वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद आठ-दस सप्ताह तक तो यह पूर्णतः खामोश बैठा रहता है । विभिन्न प्रकार की मेडिकल जाँचों में यह पोजेटिव होते हुए भी पोजेटिव नहीं आता है । तत्पश्चात् यह हतला धीरे-धीरे अपना जाल फैलाता है कि कई वर्षों तक रोगी बाहर से तो पूर्णतः स्वस्थ दिमाई देता है 8-10 वर्षों तक उसे किसी प्रकार की कोई विशेष परेशानी महसूस नहीं होती ।
जब रोग थर्ड स्टेज पर पहुंच जाता है तब बुखार डायरिया जैसी छोटी-छोटी बीमारियां भी बाई महिनों तक ठीक नहीं होती है और अंतिम सास तक उसे असहनीय पीड़ाएं पहुंचाती रहती हैं ।