मरती जाये जब सेना सारी ।
समझो एड्स की हुई बीमारी ।।
भावार्थ
एड्स के वायरस शरीर में प्रवेश पाने के पश्चात् 10-12 सप्ताह तक तो पूर्णतः निष्प्रभावी रहते हैं, किन्तु इस समयावधि के पश्चात् उक्त्त वायरस सक्रमित शरीर के सूल में स्थित श्वेत रक्त कणिकाओं को नष्ट करना प्रारम्भ कर देते हैं । श्वेत रक्त कणिकाएं हर मानव शरीर में 24 घण्टे तैयार एक विशाल सेना की भांति हर मोर्चे पर तैनात रहती है, जिसे एड्स के वायरस धीर-धीरे नष्ट करना प्रारम्भ कर देते हैं ।
प्रयोगशाला द्वारा स्वत इत्यादि के परीक्षणोपरान्त यदि यह पाया जाता है कि प्रतिदिन रक्त में श्वेत कणिकाओं की मात्रा कम होती जा रही तो शीघ्र ही यह दिन दूर नही जिस दिन इनकी संज्या शून्य के समकक्ष हो जाएगी । उस स्थिति में ऐसे रोगी को एड्स शासित रोगी कहा जायेगा । वह रोगी लाइलाज है ।