Ab To Jago Sajjano / अब तो जागो सज्जनों - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD69)




चार माह मेह बरसा, चार दिवस अब होय।
अब तो जागो सज्जनों, कभी चार पल होय।।

शब्दार्थ :- मेह बरसे = वर्षा होना, चेतो = जागृत होओ

भावार्थ:- कुछ ही दशकों, पूर्व हमारे देश में वर्षाकाल में चारों ही महिनें वर्षा होती रहती थी । वन कटने, पर्यावरण प्रदूषित होने से आजकल यह अवधि घटकर लगभग चार दिन हो गई। ’वाणी’ कविराज कहना चाहते हैं कि अब भी इतना समय हैं कि हम सभी मिलकर इस पर्यावरणीय संकट को दूर कर सकते हैं। यदि हमने इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया तो आने वाले कुछ ही वर्षो में वर्षाकाल की अवधि चार दिनों से घट कर चार पल हो जाएगी। इसलिए हमें चाहिए कि संगठन बना कर इस महापुनीत कार्य में लगें, अथक परिश्रम करते हुए इस विकट स्थिति को संभाल लेवें । यह वनदेवी मानव जाति पर अवश्य प्रसन्न होगी।