केचुएं सच्चे मीत है, जान सको तो जान।
ये मिट्टी के काम में, झोंके अपनी जान।।
शब्दार्थ :- जान = प्राण/समझना, धान = अनाज/पैदावार
भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज यह कहतें है कि केचुएं खेतों की मिट्टी को उपजाऊ बनाते हैं मिट्टी जितनी उपजाऊ होगी उतना ही उत्पादन बढ़ेगा। इस बात को यदि तुम समझना चाहते हो तो अभी समय हैं किसी से भी समझलो कृषि कार्य हेतु ऐसी कुछ विशेष बातों को जो-जो किसान भाई ध्यान रखेंगे वे अवष्य ही अपने खेतों से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकेंगे ।