Janwar Ab Kaha Chare / जानवर अब कहां चरे - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD70)





दुनिया की तष्वीर में, ढ़ाई प्रतिशत देश ।
जानवर अब कहाँ चरे, भूमि रही ना शेष।।

शब्दार्थ :- तश्वीर = नक्षा

भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज कहना चाहते हैं कि संसार नक्षे का क्षैत्रफल की दृष्टि से अवलोकन करें तो ज्ञात होगा कि विश्व  के क्षैत्रफल की तुलना में भारत का भौगोलिक क्षैत्रफल ढाई प्रतिषत ही है आबादी की दृष्टि से विष्व में हमारे देष का दूसरा स्थान है। इस ढाई प्रतिशत वाले देश के भी अधिकाषं भाग में जानवर चरते हैं कृषि योग्य भूमि दिन प्रतिदिन कम होती जा रही हैं। हमें चाहिए कि मवेषियों के लिए चरागाह निर्धाति क्षैत्र में हो जिससे फसलें नष्ट न हो सके ।