बार-बार सूखा पड़े, किसान सूखा जाय।
भूखे-प्यासे पशु मरे, मनुज समझ ना पाय।।
शब्दार्थ :- सूखा = आकाल, किसान सूखा जाय = कृषक वर्ग की मार्मिक पीड़ा, मनुज = मनुष्य,
भावार्थ:- औसत बारीश की मात्रा में ज्यादा कमी होने से सूखा पड़ता है। एक के बाद एक यदि लगातार 3-4 वर्षो तक सूखा पड़ता है। तो कृषक वर्ग सबसे ज्याद प्रभावित होता है। किसान दुःख से सूख जाता है। अकाल का प्रभाव फसल और किसान पर ही नहीं पशुओं पर भी पड़ता है। हरी घास व चारे के आभाव में बेचारे लाखों पशु आकाल मौत मर जाते हैं। ’वाणी’ कविराज कहते है कि बेजुबां जानवर अपनी पीड़ा कहते मर जाते हैं किन्तु लोभी स्वार्थी, मनुष्य उसकी बात को सुनना ही नहीं चाहता हैं। हम प्रकृति की ओर भी पर्याप्त ध्यान देना चाहिए।