साठ डेसिबल तक लगे, प्यारी सी आवाज।
रिमझिम पानी बरसता, बजते जैसे साज।।

शब्दार्थ :- डेसिबल = ध्वनि का मात्रक, साज = वाद्य यंत्र

भावार्थ:- ध्वनि की तीव्रता को मोटे तौर पर तीन भागों में विभाजित किया गया है। सर्वप्रथम सामान्य स्तर की ध्वनि की हम चर्चा करते हैं। जो ध्वनि 60 डेसिबल तक होती है। वह कर्णप्रिया होती है। इसके अन्तर्गत रिमझिम-रिमझिम पानी बरसना, दीवार घड़ी की टन-टन की ध्वनि सुनाई देना, दो-चार मित्रों द्वारा पास बैठ कर आपस में मधुर वार्तालाप करना ऐसी कई ध्वनियां इसके अन्तर्गत आती हैं । इस ध्वनि की तुलना कविराज संगीत के वाद्य यंत्रों से करते हैं ।