Dhanwi Prdushion Bad / ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD92)




ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा, यूं लगता अनुमान ।
पैसे जिनसे मांगते, सुने नहीं श्रीमान।।

शब्दार्थ :- ध्वनि प्रदूषण = वातावरण में अनावश्यक आवाजों की बढ़ना ।

भावार्थ:- विभिन्न प्रकार के स्वचलित यंत्र मोटर साईकिल, टेम्पू टेक्सी, ट्रक, फैक्ट्री, कल-कारखानों, रेडियो, माईक, टी.वी., टेप इत्यादि आधुनिक यंत्रो से आवाजें इतनी बढ़ गई कि कई व्यक्ति आंशिक रूप से बहरे व तनावग्रस्त हो गए।
’वाणी’ कविराज कहते हैं कि इस बात हा सहज अनुमान मात्र इस छोटी सी बात से लगा सकतों हैं कि जिस व्यक्ति विषेष से हम हमारे पैसे मांगते लेकिन वे हमारी बात को बार-बार दोहराने पर भी जोर-जोर से लिला से कर कहने पर नहीं सुनते हैं।