पवन चक्कियां जब चलें, कर बिजली के काम।
अनन्त ऊर्जा है यहीं, लगे न कुछ भी दाम।।
शब्दार्थ :- पवन चक्कियां = हवा से चलने वाली चक्कियां अनन्त = जिसका कोई अन्त नहीं हो, दाम = मूल्य/धन/पैसा
भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज कहते है कि किसान भाईयों को चाहिए कि प्राकृतिक उर्जा के स्त्रोतों को भलीभांति समझ कर उनका कृषि कार्यो में अधिकाधिक सहायोग लेना चाहिए । कुओं से पानी निकालने में पम्प चलाने में कई जगहों पर पवन चक्कियों का उपयोग किया जाता है। इन्हीं कार्यो को हम बिजली से भी कर सकते किन्तु बिजली का हमें पैसा चुकाना पड़ता है। पवन चक्की हवा से चलती है। हम हवा का जीवन भर उपयोग करें कभी कोई नगद राषि नहीं चुकानी पड़ती है। हमें प्राकृतिक स्त्रोतों पर अधिकाधिक आश्रित रहना चाहिए। इससे फसलों पर अनावश्यक अर्थिक भार नहीं पडे़गा।