khet rahe aabad / खेत रहें आबाद।- Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD74)





घास-पात से भू ढ़की, हरी-हरी दी खाद।
नियत जगह सब पशु चरें, खेत रहें आबाद।।

शब्दार्थ :- भू = भूमि,  नियत जगह  = निष्चित जगह, खेत रहे आबाद = खेत सुरक्षित रहे

भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज कहते है कि खेतों में हरी-हरी घास-पत्ती की खाद बहुत ही लाभदायक सिद्ध होती हैं । खेतों की सीमाएं बनादी जाए और जानवरों के लिए चरने का स्थान निष्चित होने से खेत पूर्णतः सुरक्षित रह सकेंगें। हमें चाहिए कि दोनों की अलग-अलग व्यवस्थाओं पर पर्याप्त ध्यान देंगे तो फसलें अच्छी होगी ।