Umde Jan Sailab / उमड़े जन सैलाब - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD42)


गर्मी में गर्मी नहीं, अगर पास तालाब।
सुबह श्याम दोपहर में, उमड़े जन सैलाब

शब्दार्थ :- तपता = गर्मी अनुभव होना, जन सैलाब = आम जनता की भीड़

भावार्थ:- यदि अपने गांव या शहर के समीप दैतों, नदी, तालाब, पोखर, कुण्ड, बांध इत्यादि में से कुछ भी वहा के वायु मण्डल में कहेगी आर्द्रता बनी रहेती । समीपस्थ बस्तियों के निवासी वहां नियमित स्नान करने एवं भ्रमणार्थ जाया करते हैं। ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि गर्मी के दिनों में दिन में कई बार बड़े व बच्चे वहां स्नान, भ्रमण एवं शुद्ध हवा के सेवन हेतु जाते हैं । हमें चाहिए कि हम ऐसे स्थलों की सुरक्षा का उचित ध्यान रखें । ताकि वहां का प्राकृतिक सौन्दर्य बना रहे।