Jal Bin Dhan Jal Jai / जल बिन धन जल जाए - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD50)




पतिदेव जल देवत का, पूरा ध्यान लगाय।
बेकार अगर बह गया, जल बिन धण जल जाय।।

शब्दार्थ :-   जग  = संसार                                                                                                                                       

भावार्थ:-   एक महिला अपने पति महोदय को समझा रही है कि हे प्रिय ! तुम इस बात का पूरा ध्यान रखो कि घर खुला रह जाय तो कोई बात नहीं क्योंकि अपने घर में है ही क्या, किन्तु पक्का याद रखो कि नल खुला नहीं रह जाय। हे पति परमेष्वर जल ही जीवन का आधार है। अगर यह जल नहीं होता तो सारा संसार जल जाता इसलिए जल के महत्व को जीवन में सर्वोपरि स्थान देना चाहिए ।