आबादी यूँ बढ़ रही, जैसे सिर के बाल।
जीना मुश्किल हो गया, भैया सौ-सौ साल।।
शब्दार्थ :- जैसे सिर पर बाल = अत्यधिक घनी आबादी
भावार्थ:- आज-कल दिनोंदिन देश की आबादी बढ़ती जा रही है जनसंख्या, विस्फोटक स्थिति तक पॅहुच चकी है। कवि की कल्पनानुसार जैसे किशोरवस्था में सिर पर घने बाल होते वैसी ही देश के महानगरों की स्थितियां बन चुकी हैं। आवास, रोजगार, जनसंख्या आदि कई नई समस्याएं उत्पन्न हो चुकी हैं। आज के परिवेष में सौ-सौ साल जीने क बातें स्वप्न की भांति काल्पनिक लगती हैं।