Nirmal Neer Pilaya / निर्मल नीर पिलाय - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD53)



बंजर भूमि दिखे जहां, पौधे खूब लगाय ।
बेटे जैसे जानके, निर्मल नीर पिलाय ।

शब्दार्थ :- बंजर भुमि = वह भूमि जिस पर कुछ भी ही उपजता हो, पुत्रवत = पुत्र के समान,

भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज यह कहते है कि यदि आपके परिवेष में कहीं बंजर भूमि हो तो वहां पौधों को ......... भी अपने पुत्र की भांति प्यादे दे, पर्याप्त देख-रेख करें, समय-समय पर पानी पिलाएं और जानवरों से उसकी सुरक्षा की उचित व्यवस्था करें। यदि आपने अपने जीवन में 5 पौधे भी लगाए तो वही पौधे पांच पीढियों तक आपके वंशजो की सेवा करेंगे।