Pyare Pyare Paid / प्यारे-प्यारे पेड़ - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD71)





लगा सके जितने लगा, प्यारे-प्यारे पेड़।
पानी पिलाय कर कहो, बढ़ो-बढ़ो रे पेड़।।

शब्दार्थ :- बढ़ो हे पेड़ = ऐसी हार्दिक भावना प्रकट करना कि पेड़-पौधों की शीध्र वृद्धि हो ।

भावार्थ:- पर्यावरण के संतुलन का बनाए रखने के लिए वृक्षारोपण ही सर्वक्षेष्ठ उपाय है इसलिए ’वाणी’ कविराज कहते है कि है सज्जनों इस मनुष्य जीवन में आप अपनी ओर से अपने इच्छित स्थानों पर 5-10-20-50 जितने चाहो उतने पेड़ लगाकर उन्हे पुत्रवत् बड़े करें। प्रतिदिन प्रेम पूर्वक उन पौधों को देव-पूजन का बचा हुआ जल पानी की बाल्टी में मिलाकर पौधों को पिलाते हुए कन्हें शीध्र बड़े होकर हमें खूब फल-फूल छाया इत्यादि देवें । ’वाणी’ कविराज कहते है कि यह वैज्ञानिक सत्य हैं कि पौधे हमारी भावनाओं को समझने में सक्षम होते हैं।