Lagai Gobar Gais /लगाय गोबर गैस - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD80)




गाय भैंस घर में जहां, लगाय गोबर गैस।
चार-चार चूल्हे चलें, चलाय चाहे मेष।।

शब्दार्थ :- मेष = सार्वजनिक भोजनाजय

भावार्थ:- जिन धरों में गाय भैंस मिलते हैं वहां गोबर गेस संयंत्र लगाना कई दृष्टिकोणों से लाभदायक हैं जहां चूल्हा फूंकते समय गृहिणी आंसू बहाने लग जाती है, किन्तु गोबर गेस संयंत्र लगाने से एक स्थान पर चार-चार चूल्हे भी यदि एक साथ जलाए जाएं तो भी गृहिणी को धुंए से तनिक भी पीड़ा नहीं होगी। चाहे उस स्थान पर गोबर गैस से पूरा मेष चलाओं, कभी धुंए से परेशानी उत्पन्न नहीं होगी ’वाणी’ कविराज यह कहना चाहते हैं कि आधुनिक उपकरणों द्वारा प्रदत्त सुख-सुविधाओं के बारे में स्त्रियों एंव ग्रामीणों को भी पर्याप्त ज्ञान कराना चाहिए ।