बूचड़खाने बन्द हों, जन-मन करे पुकार।
सबको इस संसार में, जीने का अधिकार ।।
शब्दार्थ :- बूचड़खाने = जहां मांसाहार हेतु पषुओं को काटा जाता हैं, जन = व्यक्ति पुकार = अन्तर्मन की आवाज
भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि जहां-जहां भी बूचड़खाने है वहां मांसाहार प्राप्ति हेतु लाखों निर्दोश मूक पशूओं को काटा जाता है तुरंत उन्हें बन्द किए जाने चाहिए । यही जन-जन की पुकार है । परमात्मा के बनाए गए इस विचित्र संसार में सभी प्राणियों को जीने का पूर्ण अधिकार है। उनकी निर्धारित आयु सीमा से पूर्ण उन्हें क्यों मारा जायं । यही उनके प्रति सच्चा न्याय होगा।