Aavaaj Aay Jor Ki / आवाज आय जोर की - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD98)

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आवाज आय जोर की, उच्चे भवन गिराय।
थर-थर बंगले कांपते, दरारें बढ़ती जाय।।

शब्दार्थ :- दरार = भवन की दीवारों में तरेड़ (क्रेक) आ जाना

भावार्थ:- ध्वनि के भीतर सर्व विनाशक शक्ति भी छीपी हुई है । वर्षाकाल में जब आकाश में तीव्रतम मेघ-गर्जन होता है। आकाश में कई मिलों तक बिजली चमकती हुई दिखाई देती है ऐसे समय में जहां-जहां बिजली गिरती वहां भारी जन-धन की हानि की संभावनाएं रहती हैं कमजोर भवनों में लंबी-लंबी दरारें पड़ जाती है। कभी-कभी कई जानवर व व्यक्ति भी एक साथ मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। हम उन मेघ-गर्जन की ध्वनि को तो रोक नहीं सकते किन्तु यह अवश्य कर सकते हैं कि नए बनने वाले मकानों में चूना, सीमेन्ट, इत्यादि सामग्री अच्छी क्वालिटी की जगावे । जो-जो भवन स्वतः गिरने की स्थिति में हैं वहां निवास नहीं करें । बड़ी-बड़ी इमारतों में तांबे की छड़ लगाकर अर्थिग करने से भवन की सुरक्षा बढ़ती है।