घर-घर चूल्हे वे लगें, धूॅआ फैंके दूर।
रोशनी बराबर रही, सुख पावें भरपूर।।
शब्दार्थ :- नेत्र ज्योति = आँखों की रोशनी
भावार्थ:- एक ऐसी कल्पना की गई है कि घर-घर में यथासंभव उन चूल्हो का उपयोग हानेा चाहिए जिनसे लगाए गए ईधन का धुॅआ सीधा उपर जाता हो । इससे सबसे बड़ा लाभ भोजन पकाने वाली के नेत्रों को होगा । वे अन्य की तुलना में ज्यादा नयनसुख भोगती हैं।