लगातार लेय फसलें, नहीं लोभ का पार।
जल में डूबें खेत हों, बढ़ते लवण व क्षार।।
भावार्थ:- बड़े-बड़े तालाबों, बांधो से किसानों को सिंचाई की अच्छी सुविधाएं तो मिलने लग गई किन्तु कुछ कृषक लोभ प्रवृत्ति के कारण लगातार एक के बाद एक फसले लेने में लगे हुए हैं। इसका एक कुपरिणाम यह हुआ कि खेते हर समय जल-मग्न ही रहते हैं। लगातार सिंचाई के कारण कृषि-भूमि के पानी डूबी रहने से उसकी लवणता और क्षारियता बढ़ जाती है। इससे धीरे-धीरे खेत उत्पादन क्षमता कम होती जाती हैं।