Gandi Naliya Bhawan Ki / गन्दी नालिया भवन की - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD58)



गंदी नालियाॅं भवन की, नहीं जल में  मिलाय।
पीए कहीं जल उसका, रोगी बढ़ते जाय।।

शब्दार्थ :-  नीर = पानी

भावार्थ:-  घर-घर से बह कर आने वाला गन्दा पानी नालियों से होता हुआ बडे़ नाले (गटर) में मिलता है। कभी-कभी उसी गटर का गन्दा पानी स्वच्छ जल के स्त्रोत नदी, तालाब इत्यादि में मिल जाता है इससेे सारा पानी प्रदूषित हो जाता हैं वहीं उसी जल को धार्मिक भावनावश या परिस्थितिवश जो कोई भी व्यक्ति पीएंगे उनके रोग्रस्त होने की संभावना बढ़ती है।
’’वाणी’ कवीराज यह कहना चाहते है कि हमारी सेनेट्रीकल व्यवस्थाएं इतनी अच्छी हो कि स्वच्छ जल, मिट्टी, वायु प्रदूषित नहीं हाएं।