Daya Kar Bejuban Par / दया कर बेजुबान पे - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD105)


दया कर बेजुबान पे, सब कहें दयावान।
तुम पर भी करने दया, दोडेंगे भगवान।।

शब्दार्थ :- बेजुबान = वे प्राणी जी अपनी जिव्हा से बोल नही सकते, दयावान = जिनके हदय में दूसरो के प्रति बहुत दया हो।

भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि हम अक्सर अपने भाई बहिन, परिजन ग्रामवासी इत्यादि जिन-जिन पर भी दया करते है, उन दयाओं के साथ प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से हमारा छोटा-बड़ा स्वार्थ जुड़ा होता है। उस स्वार्थ पूर्ति की आषा से बनावटी दया की जाती है। वास्तव में यह दया नहीं, दया की मजाक है। सच्ची दया तो वही है कि हम प्राणी मात्र पर दया करें, चाहे वह मनुष्य,पशुपक्षी, वनस्पति ही क्यों ना हो। सभी पर दया करने वाले को ही सच्चा दयावान कहा जाता है । यदि अन्र्तमन से प्राणीमात्र को आप अपना समझने लग गए तो उसका परिवार बहुत विशाल हो जाएगा। आप पर भी दया करने दयानिधि दौड़ते हुए स्वयं आपके द्वार पर आ पहुॅचेंगे ।