Jal-Pankha Chal Jaay / जल-पंखा चल जाय - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD49)


पनिहारी पनघट चली, सात सहेली साथ।
चलती-चलती थक गई, पानी लगा न हाथ।।

शब्दार्थ :-  पनिहारी = पनघट जाने वाली औरतें, संग = साथ में,

भावार्थ:- घरेलु आवश्यकतानुसार अलग-2 घरों  की सात-सात औरतें पानी हेतु खाली मटके लिए अपने घरों से निकलती हैं । कितने ही कोस चलने पर भी उन्हें पानी नहीं मिलता। सभी कूंए बावड़ियां ट्यूबवेल सूखे हुए ही मिलते हैं। अन्त में वे थकी हुई निराश होकर खाली मटके ले पुनः अपने-अपने घरों को लौट आती हैं ।