साफ रखो हर-पात्र को, मान इसे गंभीर।
मटके पर मटके रखो, पीना निर्मल नीर।।
शब्दार्थ :- निर्मल नीर = स्वच्छ व षुद्ध पानी
भावार्थ:- पानी को सदैव .....................गन्दा है, रोगाणुयुक्त है तो उसे शुद्ध अवस्था में ही ग्रहण करना चाहिए। यदि पानी गन्दा है, रोगाणुयुक्त है तो उसे शुद्ध करके ही उपयोग में लेतें । इस विषय को गंभीरता से समझना चाहिए ।
’’वाणी’ कवीराज कहते है कि जल शुद्ध करने का एक सहज तरीका यह भी है कि तीन मटके एक के उपर एक रख देवें। सबसे उपर के मटके में जल व उबड़-खाबड़ पत्थर हों बीच के मटके में बारीक रेत, सबसे नीचे के मटके में छना हुआ पानी एकत्रित हो जाएगा। इस प्रकार सदैव स्वच्छ पानी ही पींए ।