Pashu Ke Bhi Jiv Hai / पशु के भी जीव है - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD103)


रोज रखें यह ध्यान सब, है पशु के भी जीव ।
अधिक वनज जब दिया रख, निकल जायगा जीव।

शब्दार्थ :- जीव = जीवात्मा, वजन = भार,

भावार्थ:- इतना सा ध्यान तो हम सबको रखना चाहिए कि हमें हमाराा जीव जितना प्रिय है ठीक वैसे ही पषुओं को भी उनका जीव उतना ही प्रिय होता है । ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि भार वहन करते समय इस बात का पूर्ण ध्यान रखें कि उन पशुओं पर उनकी क्षमता के अनुरूप ही भार डालना चाहिए। यदि लम्बे समय तक लोभवंश इसके प्रति लापरवाही बरती गई तो आपको पशुधन के संबंध में विभिन्न प्रकार की हानियां उठानी पड सकती हैं।