Nirdosho Ko Katna / निर्दोषों को काटना- Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD54)


निर्दोशों को काटना, कहो कहां का न्याय ।
परम पिता के पास में, बड़ी शिकायत जाय ।

शब्दार्थ :- निर्दोशों = जिनका कोई कसूर नहीं हो

भावार्थ:- इन पेड़-पौधों ने इनके जन्म से लगा कर पूर्णतया सूखने तक, मे जीवन भर ही नहीं अन्तिम स्वास के पष्चात् भी अहर्निश मानव जाती की निष्काम भाव से सेवा करते हैं बिना किसी संकोच के स्वार्थवष हम उन पेड़ पौधों को काटते हैं तो यह कहां का न्याय है। उनका कसूर मात्र यही हैं किवे बिल्कूल बेकसूर हैं ।
’वाणी’ कविराज कहते है कि परमपिता परमात्मा के पास कटे हुए पेड़ अवश्य ही यह शिकायत पेश करेंगे । अगले जन्म में पेड़ काटने वाले वे पेड़ बनेंगे और इनके  हुए पड़ो के हाथों में संभवतः वही कुल्हाड़ी होगी ।