कूड़ा कचरा डालने, देखो कूड़ादान।
गांव-षहर को यूं रखें, जैसे निजी मकान।।
शब्दार्थ :- कूड़ादान = कचरा पात्र
भावार्थ:- आवासीय घरो को कचरा, कूडा-करकट हर कहीं पर नहीं फेंकना चाहिए। सड़क पर फेंकते समय इतना सा ध्यान लगा लें कि आस-पास कूड़ादान (डस्टबिन) कहां पर है, यथासंभव उसी में कचरा डालने का प्रवृति विकसित करनी चाहिए।
’वाणी’ कविराज कहना चाहते है कि आपने षहर को भी इसी प्रकार साफ-स्वच्छ रखने का प्रयास करें, जैसे अपने स्वयं के मकान को रखते हैं। ऐसे अच्छो संस्कार जब हम अपने बच्चों में उत्पन्न करें तो सम्पूर्ण पर्यावरण को षुद्ध करने के इस महाभियान में करोड़ो नन्हें-मुन्हें हाथों का भी एक साथ सहयोग मिलेगा ..............