Kar-Kar Ke Manuhaar / कर-कर के मनुहार - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD36)



साथी पैदल चल रहा, रोको अपनी कार।
फाटक खोल बिठायलो, कर-कर के मनुहार।।

शब्दार्थ :- मनुहार = अपनी ओर से पहल करना

भावार्थ:- आप अपने वाहन पर जा रहे हैं और संयोगवश आपका मित्र पैदल चल रहा हैं। दोनों एक ही दिशा की ओर जा रहे हैं तो हमें चाहिए कि हम अपनी मोटरसाईकिल, कार बस जो हो उसे रोेक कर मित्र को मनुहार सहित अपने वाहन में बिठाएं इससे वह शीघ्र अपने गन्तव्य पर पहुंचेगा और आपकी मित्रता और भी सुदृढ़ होगी ।