Plastic Ki Jo Botle / प्लास्टिक की जो बोतले - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD13)



प्लास्टिक की बोतलें, समझो ना बेकार ।
फूलदान सुन्दर बने, घर-घर में श्रृंगार ।।

शब्दार्थ :- बेकार = व्यर्थ की वस्तु, घर का श्रृंगार = घर की सुन्दरता का बढ़ना ।

भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि जिन वस्तुओं को हम घर से बाहर फेंकने जा रहे हैं उनके बारे में पहले थोड़ा सा विचार करें । यदि उनसे कुछ नया निर्माण हो सकता है तो वह नवसृजन अवश्य करें । किसी भी चीज को आप व्यर्थ की वस्तु ना समझे। यथा प्लास्टिक को बोतलों से हम आसानी से सुन्दर फूलदान बना कर घरों का श्रृंगार कर सकते हैं । इससे घरों की सुन्दरता एवं आत्म संतुष्टि दोनों में आशातीत वृद्धि होगी ।