पीपल पूजे गोरड़ी गोरा पति तब पाय ।
पल-पल परमानन्द है, जीवन अमर बनाय ।।
पल-पल परमानन्द है, जीवन अमर बनाय ।।
शब्दार्थ :- पूजे = पूजन करना, गोरड़ी = अविवाह बालिका गोरा = गौरवर्ण
भावार्थ:- श्रेष्ठ वर प्राप्ति हेतु भारतीय संस्कृति में विवाहयोग्य कुंवारी लड़कियां पीपल की पूजा करती हैं । पूजा, आराधना, भक्ति, कभी निष्फल नहीं जाती है । प्रकृति और महादेव शंकर की अनुकम्पा से उस कन्या को सुन्दर पति की प्राप्ति होती है। ’’वाणी’’ कविराज कहते हैं कि श्रेणु जोड़ी के पति-पत्नी जीतन पर्यजन परमानन्द की अनुभूतियां करते हैं ।
वे ही नहीं उनके परिजन भी सदैव प्रसन्न हैं । यह सभी देव-वृक्ष पीपल -पूजन का सुपरिणाम है हमें किसी भी हरे-भरे पीपल को नहीं काटना चाहिए ।