Ye Noto Ke Paid / ये नोटों के पेड - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD21)



पर्यावरण शुद्ध करें, लगा-लगा कर पेड़ ।
सेठ बनना कुदरत के, ये नोटों के पेड़।।

शब्दार्थ:-  पर्यावरण  = हमारा प्राकृतिक परिवेश, नोटो के पेड़ = आर्थिक स्थिति श्रेष्ठ होना

भावार्थ:-  ’वाणी’ कविराज कहना चाहते है कि हमें पर्यावरण को अतिशीघ्र शुद्ध करने का एक विशाल अभियान प्रारम्भ करना होगा । जगह-जगह पर पेड़ लगा उन्हें नियमित जल पिलाते हुए अच्छे ढंग से बड़ा किया तो अवश्य हरियाली बढ़ेगी और वर्षा अधिक होगी। फलस्वरूप सभी प्रकार के उत्पादन भी बढ़ेगें क्रय-विक्रय में वृद्धि होने से सर्वत्र अर्थिक सम्पन्नता इस प्रकार बढ़ेगी। क्रय-विक्रय में वृद्धि होने से सर्वत्र अर्थिक सम्पन्नता इस प्रकार बढे़गी जैसे हमारे लगाएं हुए पौधें नोटों के पेड़ की तरह फल रहे हों हमें आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न होने के लिए एवं स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए प्राकृतिक संतुलन की ओर पर्याप्त ध्यान देना होगा ।