Punar chakran usko kahe / पुनर्चक्रण उसको कहें - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD19)



पुनर्चक्रण उसको कहें, चीजे जो बेकार।
कोई युक्ति लगाय के, करलें फिर तैयार ।।

शब्दार्थ :-   पुनचक्रण  = टूटी-फटी, जली कटी बेकार की वस्तु से पुनः नई वस्तु बना लेना ।

भावार्थ:-  घर, कार्यालय व उद्योग धन्धों में कई वस्तुओं को हम बेकार की समझ कर फैंक देते हैं । ’वाणी’ कविराज यह कहना चाहते हैं कि हम नई विधियों का उपयोग करते हुए उससे पुनः वही वस्तु बनाएं या दैनिक जीवनोपयोगी कोई अन्य वस्तु बना कर यथा संभव लाभ उठाएं फैंकने व नकारा समझ कर त्यागने योग्य चीजों को किसी भी प्रकार से पुनः उपयोगी बना लेने की क्रिया को ही पुनर्चक्रण कहते हैं । इससे कम लागत पर कई प्रकार की आवष्यक  वस्तुए तैयार हो सकती हैं ।