Choolhe Aise Kray Karen / चूल्हे ऐसे क्रय करें, - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD34)


चूल्हे ऐसे क्रय करें, धुंआ सीधा जाय।
भोजन कितना ही बनो, आंसू एक न आय।।

शब्दार्थ:-    क्रय = खरीदना

भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि हमें चाएि कि हम  ऐसे चूल्हे खरीदें जिनमे गोल पाईप के द्वारा धुंआ सीधा ऊपर जा सके ऐसी स्थिति में गृहिणी कितना ही भोजन बनाए उनके नैत्रों को किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचेगी। जीवनभर भोजन बनाने पर भी आंख से एक आंसू नहीं निकलेगा। गृहणी के स्वास्थ्य से मात्र बाल-बच्चे ही नहीं पूरे परिवार का स्वास्थ्य जुड़ा हुआ है। इसलिए हमें उनके स्वास्थ्य के बारे में भी भलीभांति सोचते रहना चाहिए ।