आम नीम के पेड़ जोैं, धुंआ ज्यादा देय ।
यदि मजबूरी आ गई, बबूल को ही लेय।।
शब्दार्थ:- मजबूरी = विवशता
भावार्थ:- वनस्पति जगत में आम व नीम दो ऐसे पेड़ हैं जो ज्यादा धुआँ देने के कारण नेत्रों व इमारतों को ज्यादा हानि पहुंचाते है। जहां तक संभव हो हमें भोजन पकानें में इनके प्रयोग से बचना चाहिए। ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि सैसुएरिना और बबूल की लकड़ी आम व नीम के वनिस्पत कम धुंआ देती । यदि हम विवष हैं तो जलाने की लकड़ी के अन्तर्गत आम व नीम के बजाय बबूल सेसुएरिना आदि पेड़ों का उपयोग करना ज्यादा श्रेष्ठ है।