ढ़ाणी-ढ़ाणी गांव में, चला यही अभियान।
पानी-पानी ना करो, कर पानी का मान।।
पानी-पानी ना करो, कर पानी का मान।।
शब्दार्थ :- पानी का मान = पानी के महत्व को समझना एवं उसे पूर्ण सम्मान देना
भावार्थ:-अधिकांश गांवों-शहरों में जल-समस्या विकराल रूप से बढ़ी हुई है । इससे मुक्ति पाने के लिए राज्य सरकारों द्वारा कई छोटे-बड़े अभियान प्रारम्भ किए गए हैं । हमारी सरकारों ने लाखों-करोड़ो रूपये के कई बजट इन कार्यों के लिए सुनिश्चित किए हैं। ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि हमें घबराने की आवश्यकता नहीं हैं हमें तो पानी के महत्व को समझ कर उसे मितव्यतापूर्वक खर्च करना चाहिए। ..........करने पानी खपत इतनी कम होगी, परस्पर वातावरण उतना ही सौहार्दपूर्ण बना रहेगा ।