Idhar Udhar Feke Nahi / इधर-उधर फैकें नहीं - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD18)



इधर-उधर फैंके नहीं, सब्जी के अवशेष।

                     गाय भैंस और बकरी, वहीं करो सब शेष।।                                       

शब्दार्थ :- अवशेष = बचे हुए भाग, शेष = प्रस्तुत करना


भावार्थ:- ’वाणी’ कविराज यह समझाना चाहते हैं कि घरों में जो हरी सब्जी आती है, बनाते समय उसके कुछ डण्ठल, छिलके और बीज जो कुछ भी भाग पकाने की दृष्टि से अनुपयोगी समझ कर उन्हें अवसर फेंक देते हैं। उन्हें नहीं फेंकना चाहिए । यदि आपके घर में गाय, भैंस, बकरी , मुर्गा, आदि पालतु जानवर हैं तो उनके सामन खाने के लिए डाल दें । यदि अपने घर में नहीं है तो पास-पड़ोस में जिसके यहां भी हो वहा ले जाकर उन्हें दे देना चाहिए । यह श्रेष्ठ विचार है।