चीजें जो बेकार हैं, जरा दिमाग लगाय ।
नए रुप में फिर ढले, बढे़ आपकी आय ।।
भावार्थ:- बेकार समझी जाने वाली उन चीजों को कुछ नए दृष्टिकोण से भी देखना चाहिए। कुछ लघु प्रषिक्षण लेकर हम उन्हीं चीजों से कई छोटे-बड़े निर्माण-कार्य सीख सकते हैं । ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि यदि इन कार्यो को आपने एक बार प्रारंभ कर दिया तो परिवार के छोटे-बड़े बच्चे भी अच्छा सहयोग देने लगेंगे, फलस्वरूप उत्पादन ज्यादा होगा । इससें घरों की आमदनी बढ़ेगी और लक्ष्मी भी प्रसन्न रहेगी ।
नए रुप में फिर ढले, बढे़ आपकी आय ।।
शब्दार्थ :- जरा = थोड़ा सा, दिमाग लगाय = बौद्धिक परिश्रम करना
भावार्थ:- बेकार समझी जाने वाली उन चीजों को कुछ नए दृष्टिकोण से भी देखना चाहिए। कुछ लघु प्रषिक्षण लेकर हम उन्हीं चीजों से कई छोटे-बड़े निर्माण-कार्य सीख सकते हैं । ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि यदि इन कार्यो को आपने एक बार प्रारंभ कर दिया तो परिवार के छोटे-बड़े बच्चे भी अच्छा सहयोग देने लगेंगे, फलस्वरूप उत्पादन ज्यादा होगा । इससें घरों की आमदनी बढ़ेगी और लक्ष्मी भी प्रसन्न रहेगी ।