Pani Pilaye Ped Ko / पानी पिलाय पेड़ को - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD05)



पानी पिलाय पेड़ को, लेओ आशिर्वाद ।
पेड़ हमारे देवता, खूब करो फरियाद ।

शब्दार्थ :- रोज = प्रतिदिन, फरियाद = निवेदन/प्रार्थना

भावार्थ:- वनस्पति भी हमारी तरह सजीव हैं । प्रमुख अन्तर यही है कि ये हमारी तरह चल-फिर नहीं सकते एवं बोल भी नहीं सकते । यदि हम इन्हें नियमित पानी पिलाते हैं तो निश्चित ही पौधे उनके अन्तर्मन से हमे शुभाशीष देतें ।
’वाणी’ कविराज कहते हैं कि हमारी भारतीय संस्कृति ने कई वृक्षों को देवहस की श्रेणी में रखें हैं ये हमें जलाने की लकड़ी ही नहीं अनेक असाध्य रोगों की अचूक औषधियां भी देते हैं । कई असंभव कार्यो को शीध्रतिशीध्र पूर्ण करने में यें बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । हमे  इनसे भी हमारे सुख-दुःख के लिए प्रार्थना करते रहना चाहिए ।