समाचार जब पढ़ लिए, क्यों फेंका अखबार।
थैलियां कागज की बना, कर छोटा व्यापार।।
शब्दार्थ :- उपकार = भलाई का कार्य थोड़ा = छोटा काम
भावार्थ:- दैनिक जीवन में कई वस्तुएं ऐसी होती हैं जिनका उपयोग केवल एक दिन के लिए एवं एक ही बार होता है। समाचार पत्र प्रतिदिन नया आता है। जिसके लिए कई पाठक द्वार पर खड़े-खड़े प्रतिक्षा करते हैं । समाचार पत्र हाथ में आने के बाद पुराने वाले की ओर कोई देखता भी नहीं, यहां तक कि उसे फेंक दिया जाता है । उसका अपराध मात्र यही कि आज वह पुराना हो गया।
’वाणी’ कविराज कहते है कि उन समाचार पत्रों के कागज की भी थैलियां बना कर उसे पुनः उपयोग के योग्य बना सकते हैं। यदि सभी ऐसी बातों पर अमल करते हैं तो यह हमारे द्वारा प्रकृति के प्रति एक अच्छा उपकार होगा । कर्म कसे अर्थिक लान होगा।