Pranvayu Humko Mili / प्राणवायु हमको मिली, - Paryavaran Ke Dohe @ Kavi Amrit 'Wani' (PD25)


प्राण वायु हय को मिली, प्रतिशत केवल बीस।
कोशिशे  सब ऐसा करें, कभी न हो उन्नीस।।

शब्दार्थ:-       प्राणवायु = जिसवायु, से हमारी स्वास व धड़कन चलती है (आक्सीजन) गैस

भावार्थ:-   ’वाणी’ कविराज कहते हैं कि प्रकृति में विभिन्न प्रकार की गैसे हैं लेकिन जो गैस (वायु) मानव-जाति व प्राणी मात्र के जीवनयापन के आधार है वह केवल 20 प्रतिशत ही है। हम सभी को चाहिए कि एक ऐसा सामूहिक प्रयास करें, जिनके फलस्वरूप पर्यावरण में आक्सीजन की मात्रा की कभी भी कमी ना आए । बीस प्रतिशत से घट कर कभी-उन्नीस नहीं हो । यदि हम इस ओर पूर्ण सजग रहें तो हमें सभी आवष्यक वस्तुएं प्राकृतिक उपहार स्वरूप हमंे हर समय मिलती रहेगी ।